मान्यताओं के अनुसार सतयुग के आखिरी चरण में, चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन, चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में, सुबह 6.03 बजे भारत देश मे झारखंड के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव की एक गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था परंतु उनके जन्म को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है क्योंकि मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके के लोगो का कहना है की हनुमान जी का जन्म मध्यप्रदेश में हुआ। जबकि कर्नाटक के रहने वालो कि ये धारणा है कि हनुमान जी कर्नाटक में पैदा हुए थे। पम्पा ओर किष्किंधा के ध्वंसावशेष अब भी हम्पी में देखे जा सकते हैं। इस प्रकार हनुमान जी के जन्म को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं परंतु उनकी शक्ति को कोई भी नकार नहीं सकता। कहा जाता है कि जिसने हनुमान जी का नाम लिया उसने अपने जीवन में वो सब पा लिया जो वो चाहता है।
हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा ?
हनुमान जी जब छोटे थे तो बहुत नटखट थे। बजरंग नाम उनका उनके पिता केसरी जी ने रखा था। एक बार की बात है कि हनुमान जी को बहुत भूख लग रही थी और उनकी मां अंजना उनके लिए भोजन ला ही रही थी कि उन्होंने खेल-खेल में ही सूर्य भगवान को लाल रंग का फल जैसा समझ कर उन्हें ही खाने के लिए अपने आकार को बहुत बड़ा बनाकर अपने मुंह में रख लिया। ऐसा होने से उनकी मां अंजना परेशान हो गयी। सूर्य देव को मुंह में रखने से चारों ओर अंधकार छा गया ओर इस बात की खबर जब स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र को पता चली तो उन्हें बहुत गुस्सा आ गया। गुस्से में ही उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार किया, जिसकी बजह से वो टूट गयी ओर हनुमान जी वही मूर्छित हो कर गिर गए। जब यह बात पवन देव को पता चली, तो उन्होंने धरती के वायु का संचार रोक दिया। समस्त संसार बिना प्राण वायु के विचलित हो उठा। तब ब्रह्मा जी ने आकर बालक मारुति को पुनःजिवित किया और वायुदेव को अनुरोध किया कि वो वायु का पुनः संचार करें। तब वायुदेव के साथ बाकि समस्त देवताओं ने उन्हें वरदान दिये। साथ ही ब्रह्मादेव सहित अन्य देवताओं ने उन्हें हनु अर्थात ठुड्डी पर चोट लगने के कारण हनुमान नाम दिया। ठोड़ी को संस्कृत में हनु कहते है और तब से बजरंग का नाम हनुमान पड़ा तथा अति प्राक्रमी व बलवान होने के कारण उनका नाम बजरंग के साथ-साथ बजरंगबली भी कहा जाने लगा।