अपना मंगल चाहने वाले मंगलवार को पढ़ें हनुमान जी की गाथाएं

Updated on 01-01-1970 12:00 AM


हनुमान जी का नाम आते ही हमारे सामने जो छवि आती है, वो श्री राम जी के सबसे बड़े बलशाली, ताकतवर भक्त के रूप में आती है। हनुमान जी का नाम हमारे देश भारत के सबसे बड़े महाकाव्य रामायण में सर्वप्रथम आता है। हनुमान जी को आठ अमर व्यक्तिवों में एक माना जाता है क्योंकि जब त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ तथा अपनी धरतीलोक की लीलाओं को समाप्त कर अपने निजधाम बैकुंठ लोक जाने से पहले प्रभु श्रीराम ने जामवंत के साथ-साथ श्रीहनुमान जी को भी यह आशीर्वाद दिया कि, "हे हनुमान ! तुम कलयुग के अंत तक इसी धरती पर वास करोगे तथा राम लीलाओं के साक्ष्य बनकर सदा राम भक्तों की रक्षा व सहायता करते रहने का भार ग्रहण करोगे।



माता सीता ने जब हनुमान जी को उनसे कुछ मांगने को कहा तो हनुमान जी ने कहा कि जहां-जहां पर भी श्री राम चर्चा हो वहां- वहां पर मुझे उनका नाम व चर्चा सुनने का आर्शीवाद प्रदान करें। तभी श्रीराम जी कहने लगे हे सीते, "यह तुमसे बहुगुणा शरीर सहित राम चर्चा में सम्मिलत होने का वरदान मांग रहा है।" तब माता सीता ने सहर्ष ही श्री हनुमान जी को यह वरदान प्रदान किया।



श्री हनुमान शिव जी के 11 वें रूद्रावतार हैं, जो सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म श्री राम जी की सहायता करने के लिए हुआ था। हनुमान जी की ताकत और उनकी बुद्धि की अनेकों कहानियां प्रचलित हैं। कहते भी हैं कि कलयुग में कोई ईश्वर अगर इस धरती पर है, तो वो है केवल श्री राम भक्त हनुमान जी। उन्हें वायुपुत्र कहा जाता है क्योंकि उनका वेग वायु से भी तेज है और कहा जाता है की वो वायु देव के पुत्र हैं तथा एक ऋषि के श्राप के कारण ही उनका जन्म एक वानर के रूप में हुआ। हनुमान जी के भक्त बल और बुद्धि की कामना उनसे करते हैं। हनुमान जी का नाम लेते ही सभी दुख दूर हो जाते हैं। उनका नाम सुनने मात्र से ही सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं। कहते हैं कलयुग में सिर्फ हनुमान जी ही है, जो सशरीर विधमान हैं और जब तक श्री राम जी का नाम इस धरती पर रहेगा, तब तक श्री राम भक्त हनुमान जी भी रहेंगे।






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