हनुमान जी अमर हैं लेकिन उनकी भी मृत्यु हुई थी, राक्षस सहस्शिरा को मारने के लिए एक बार भगवान राम निकले। बहुत समय हुआ तो माँ सीता की आग्या पर हनुमान उन्हें खोजते हुए विलंका आए, जहाँ एक जादुई सरोवर था। ग्रामदेवी के प्रभाव से वह विषैला था, जो भी व्यक्ति विलंका में शत्रुता की भावना से आता उसके गले में ग्राम देवी बैठ जातीं और प्यासा जीव सरोवर से जल पीता तब मारा जाता, हनुमान जी नें भी वही किया, और ज़हर के प्रभाव मृत्यु को प्राप्त हुए, तब पवन देव ने क्रोध में आ कर अपनी गति रोक दी, इस पर ब्रह्माण्ड में हांहांकार मच गया। अंत में देवताओं ने हनुमान जी को जीवित करने का वचन दिया तब पवनदेव शांत हुए।