अंजना माँ को पुत्र प्राप्ति की इच्छा थी। उसी काल में अयोध्या के राजा दशरथ भी पुत्रों की प्राप्ति के लिए यज्ञ करवा रहे थे। जिनमें से उत्पन्न हुए फल को तीन रानीयों नें खाया लेकिन यग्योत्पति से निकला एक फल पक्षी ले उड़ा, उसनें वह फल एक पर्वत पर गिरा दिया, जहाँ अंजना माँ भ्रमण कर रही थीं, महादेव की प्रेरणा से उन्होंने उस फल को खाया, जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ। इसी कारण बजरंगबली भरत सम भाई कहे जाते हैं।