भूख लगने पर एक बार बाल हनुमान सूर्य को फल समझ बैठे और उसे निगलने उड़ चले, तब राहू ने इंद्र से सहायता मांगी, देवेन्द्र नें बाल हनुमान के विराट स्वरूप पर प्रहार किया और वह मुर्छित हो कर धरा पर आ गिरे। इस बात का पता जब पवन देव को चला तो वह बहुत क्रोधित हुए, उन्होंने पूरी श्रृष्टि का वायुचक्र बाधित कर दिया, इस कारण सभी जीवों का दम घुंटने लगा। जिसके बाद उन्हें समझा-बुझा कर मनाया गया और समस्त जीवों नें राहत की सांस ली।